भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बॉलीवुड के खिलाड़ी अक्षय कुमार ने प्रधानमंत्री का इंटरव्यू लिया, इस इंटरव्यू की खास बात यह रही की इसमें राजनीति से ज्यादा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निजी जिंदगी पर ज्यादा फॉक्स किया गया और उनके निजी जीवन शैली के टिप्स पूछे गए थे | अक्षय कुमार से बातचीत में पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने जीवन के कई दिलचस्प किस्सों को साझा किया है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया कि वे कैसे अपने आप को फिट रखते हैं |
पीएम नरेंद्र मोदी जुखाम का ऐसे करते हैं इलाज-
बॉलीवुड खिलाड़ी अक्षय कुमार ने एक सवाल में पीएम से पूछा कि आप जुखाम होने पर क्या करते हैं ? इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहां कि जुखाम होने पर वो 3 तीन काम करते हैं | पहला- जुखाम के होने पर वे सिर्फ गर्म पानी ही पीते हैं | दूसरा- वह फास्टिंग करते हैं, यानि 24 से 28 घंटे बिना कुछ खाए सिर्फ गर्म पानी ही पीते हैं | तीसरा- वे गर्म सरसों के तेल की कुछ बूंदे अपनी नाक में डालते है, जिससे जुखाम का असर कम हो जाता हैं |
सिर्फ 3 घंटे ही सोते हैं पीएम मोदी-
अपने इस इंटरव्यू में अक्षय कुमार ने नरेंद्र मोदी से कहां कि हमने सुना हैं कि आप केवल 3 घंटे ही सोते हैं | अक्षय ने कहां कि जबकि शरीर को कम से कम 7 घंटे नींद की जरूरत होती हैं | इस बात पर हंसकर पीएम नरेंद्र मोदी ने बताया ' मैं केवल 3 से साढ़े तीन घंटे की ही सोता हूं, क्योंकि मेरी बॉडी साइकिल ही ऐसी हैं कि मुझें 3 घंटे से ज्यादा नींद नहीं आती हैं | मेरी नींद बहुत कम समय में पूरी हो जाती है, पीएम मोदी ने बताया कि अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति ओबामा ने भी उन्हें भरपूर नींद लेने की सलाह देते हैं | वे जब भी मिलते है नींद बढ़ाने की सलाह देते हैं |
इस मुकाम पर आने के लिए किन-किन परेशानियों का सामना करना पड़ा-
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अक्षय कुमार को बताया, कि मैं बहुत कठिन जिंदगी जिकर इस मुकाम तक पहुंचा हू | मैं आयुर्वेद में ज्यादा विश्वास रखता हू, उन्होंने थकान को लेकर बताया कि ' मैं पैर पर गमछा बांधता था और बीच में छोटी लकड़ी पैर पर लगाता था, ताकि जिससे प्रेशर पड़े और थकान कम हो जाए | इस तरह पूरी बॉडी की मसाज में खुद करता था |
गुस्से को कैसे शांत करते हैं पीएम मोदी-
भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी ने बताया कि अगर कोई ऐसी घटना होती है, जो उन्हें पसंद न आये या बुरी लगे तो वो अकेले कागज लेकर बैठ जाते थे | मैं उस घटना का वर्णन लिखते थे, क्यों हुआ, कैसे हुआ ? फिर उस कागज को फाड़कर फेक देते थे अगर इसके बाद भी मन शांत नहीं होता तो इस घटनाक्रम को दोबारा लिखते थे | इससे उनकी सारी भावनाएं लिखने के बाद जल जाती थी इससे ये भी एहसास हो जाता था कि ये सब गलत हुआ |